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मामूली चीज़ों का देवता एक विशुद्ध व्यावहारिक अर्थ में तो शायद यह कहना सही होगा कि यह सब उस समय शुरू हुआ, जब सोफ़ी मोल आयमनम आई। शायद यह सच है कि एक ही दिन में चीज़ें बदल सकती हैं। कि चंद घंटे समूची ज़िन्दगियों के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। और यह कि जब वे ऐसा करते हैं, उन चंद घंटों को किसी जले हुए घर से बचाए गए अवशेषों की तरह - करियाई हुई घड़ी, आँच लगी तस्वीर, झुलसा हुआ फ़र्नीचर - खंडहरों से समेट कर उनकी जाँच-परख करनी पड़ती है। सँजोना पड़ता है। उनका लेखा-जोखा करना पड़ता है। छोटी-छोटी घटनाएँ, मामूली चीज़ें, टूटी-फूटी और फिर से जोड़ी गईं। नए अर्थों से भरी। अचानक वे किसी कहानी की निर्वर्ण हड्डियाँ बन जाती हैं। फिर भी, यह कहना कि वह सब कुछ तब शुरू हुआ जब सोफ़ी मोल आयमनम आई, उसे देखने का महज़ एक पहलू है। साथ ही यह दावा भी किया जा सकता था कि वह प्रकरण सचमुच हज़ारों साल पहले शुरू हुआ था। मार्क्सवादियों के आने से बहुत पहले। अंग्रेज़ों के मलाबार पर कब्ज़ा करने से पहले, डच उत्थान से पहले, वास्को डि गामा के आगमन से पहले, ज़मोरिन की कालिकट विजय से पहले। किश्ती में सवार ईसाइयत के आगमन और चाय की थैली से चाय की तरह रिसकर केरल में उसके फैल जाने से भी बहुत पहले हुई थी। कि वह सब कुछ दरअसल उन दिनों शुरू हुआ जब प्रेम के क़ानून बने। वे क़ानून जो यह निर्धारित करते थे कि किस से प्रेम किया जाना चाहिए, और कैसे। और कितना। बहरहाल, व्यावहारिक रूप से एक नितान्त व्यावहारिक दुनिया में...वह दिसम्बर उनहत्तर का (उन्नीस सौ अनुच्चरित था) एक आसमानी नीला दिन था। एक आसमानी रंग की प्लिमथ, अपने टेलफ़िनों में सूरज को लिये, धान के युवा खेतों और रबर के बूढ़े पेड़ों को तेज़ी से पीछे छोड़ती कोचीन की तरफ़ भागी जा रही थी...
Mamooli Cheezon Ka Devata (The God of Small Things) by Arundhati Roy is a captivating Hindi novel that explores the intricate tapestry of human relationships, caste, and social injustice in post-colonial India. Set in the picturesque state of Kerala, the story unfolds through the eyes of twins, Ammu and Estha, as they navigate the complexities of love, loss, and the lingering effects of historical trauma.
Roy's lyrical prose and vivid imagery bring to life the beauty and contradictions of India, immersing readers in a world of small-town life, caste-based prejudices, and the enduring power of family bonds. With its poignant exploration of themes such as forbidden love, class divisions, and the consequences of societal expectations, Mamooli Cheezon Ka Devata is a powerful and thought-provoking work of literature that has garnered international acclaim.
This hardcover Hindi edition of Mamooli Cheezon Ka Devata is a must-read for anyone seeking a profound and emotionally resonant literary experience. Discover the magic of Arundhati Roy's storytelling and delve into the rich tapestry of Indian culture.