website

Kathghare Mein Loktantra by Ed. Neelabh Arundhati Roy, Tr. Jitendra Kumar [Hardcover] Hindi Edition

In Stock
Regular price £18.12 | Save £-18.12 (Liquid error (sections/product-template line 182): divided by 0% off)
/
Tax included.
You have got FREE SHIPPING

Expected Delivery on - .

10

Kathghare Mein Loktantraby Ed. Neelabh Arundhati Roy, Tr. Jitendra Kumar [Hardcover] Hindi Edition

Kathghare Mein Loktantraby Ed. Neelabh Arundhati Roy, Tr. Jitendra Kumar [Hardcover] Hindi Edition

PRODUCT DETAILS

कठघरे में लोकतंत्र अपने जनवादी सरोकारों और ठोस तथ्यपरक तार्किक गद्य के बल पर अरुन्धति रॉय ने आज एक प्रखर चिन्तक और सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपना ख्शास मुक़ाम हासिल कर लिया है। उनके सरोकारों का अन्दाज़ा उनके चर्चित उपन्यास, ‘मामूली चीज़ों का देवता’ ही से होने लगा था, लेकिन इसे उनकी सामाजिक प्रतिबद्धता की निशानी ही माना जायेगा कि अपने विचारों और सरोकारों को और व्यापक रूप से अभिव्यक्त करने के लिए, अरुन्धति रॉय ने अपने पाठकों की उम्मीदों को झुठलाते हुए, कथा की विधा का नहीं, बल्कि वैचारिक गद्य का माध्यम चुना और चूँकि वे स्वानुभूत सत्य पर विश्वास करती हैं, उन्होंने न सिर्फ़ नर्मदा आन्दोलन के बारे में अत्यन्त विचारोत्तेजक लेख प्रकाशित किया, बल्कि उस आन्दोलन में सक्रिय तौर पर शिरकत भी की। यही सिलसिला आगे परमाणु प्रसंग, अमरीका की एकाधिपत्यवादी नीतियों और ऐसे ही दूसरे ज्वलन्त विषयों पर लिखे गये लेखों की शक्ल में सामने आया। ‘कठघरे में लोकतन्त्र’ इसी सिलसिले की अगली कड़ी है इस पुस्तक में संकलित लेखों में अरुन्धति रॉय ने आम जनता पर राज्य-तन्त्र के दमन और उत्पीड़न का जायज़ा लिया है, चाहे वह हिन्दुस्तान में हो या तुर्की में या फिर अमरीका में। जैसा कि इस किताब के शीर्षक से साफ़ है, ये सारे लेख ऐसी तमाम कार्रवाइयों पर सवाल उठाते हैं जिनके चलते लोकतन्त्र - यानी जनता द्वारा जनता के लिए जनता का शासन - मुट्ठी भर सत्ताधारियों का बँधुआ बन जाता है। अपनी बेबाक मगर तार्किक शैली में अरुन्धति रॉय ने तीखे और ज़रूरी सवाल उठाये हैं, जो नये विचारों ही को नहीं, नयी सक्रियता को भी प्रेरित करेंगे। और यह सच्चे लोकतन्त्र के प्रति अरुन्धति की अडिग निष्ठा का सबूत हैं। - नीलाभ

Kathghare Mein Loktantra (Democracy in the Dock) is a powerful collection of essays by renowned Indian writer Arundhati Roy, edited and translated by Neelabh and Jitendra Kumar. This thought-provoking anthology delves into the state of democracy in India and around the world, examining the erosion of democratic principles and the increasing oppression of ordinary citizens.

Roy's insightful analysis and unwavering commitment to social justice shine through in these essays, as she exposes the hypocrisy of governments and corporations that claim to uphold democratic values while simultaneously undermining them. With her characteristic passion and eloquence, Roy raises important questions about the future of democracy and the need for individuals to stand up for their rights and freedoms.

Kathghare Mein Loktantra is a must-read for anyone interested in social justice, political activism, and the state of democracy in the world today. It's a powerful and thought-provoking collection that will inspire readers to become more engaged citizens and advocate for a more just and equitable society.

RECENTLY VIEWED PRODUCTS

Special instructions for seller
Add A Coupon

What are you looking for?